आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा
आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है। जो उन आवेशों को अनंत से उनकी स्थितियों तक लाने में किया जाता है।

माना एक निकाय XY है जो दो आवेशों +q1 तथा +q2 से मिलकर बना है। इन आवेशों के बीच की दूरी r है। माना यदि आवेश q2 बिंदु Y पर न होकर अनंत पर स्थित है। तो आवेश +q1 के कारण बिंदु Y पर विद्युत विभव निम्न प्रकार होगा।
V = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1}{r} समीकरण (1)
अब आवेश +q2 को अनंत से बिंदु Y तक लाने में किया गया कार्य W है तो
विद्युत विभव के सूत्र V = \frac{W}{q} से
W = q2V
समीकरण (1) से V का मान रखने पर
W = q2 \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1}{r}
W = \large \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1q_2}{r}
यह कार्य निकाय में स्थितिज ऊर्जा U के रूप में संचित हो जाता है तब स्थितिज ऊर्जा
\footnotesize \boxed { U = \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1q_2}{r} }
यह आवेशों के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा का सूत्र है।
Note – यदि कोई निकाय दो आवेशों से मिलकर बना है। तो उस निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा दोनों आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जाओं के योग के बराबर होगी। अर्थात्
U = U1 + U2
\footnotesize \boxed { U = \frac{1}{4πε_o} \frac{q_1q_2}{r_1} + \frac{q_3q_4}{r_2} }
अतः निकाय जितने भी आवेशों से बना होगा उन सबकी स्थितिज उर्जा इस प्रकार ही निकाली जा सकती है।
पढ़ें… एकसमान बाह्य क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा
पढ़ें… विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव की अक्षीय और निरक्षीय स्थिति
निकाय के कारण विद्युत विभव
यह भी स्थितिज ऊर्जा के समान ही है। इसे भी इसी प्रकार ज्ञात किया जाता है।

माना यदि कोई निकाय चार आवेशों से मिलकर बना है। तो उस निकाय के कारण कुल विद्युत विभव उन चारों आवेश के कारण अलग-अलग विद्युत विभव के योग के बराबर होगा। अर्थात्
माना यदि परिणामी विद्युत विभव V है तथा चारों निकाय पर विद्युत विभव क्रमशः V1, V2, V3 व V4 है। तो
V = V1 + V2 + V3 + V4
चूंकि चित्र में दूसरा और चौथा आवेश ऋणात्मक है। इसलिए
V = \frac{1}{4πε_ok} \frac{q_1}{r_1} + \frac{1}{4πε_ok} \frac{-q_2}{r_2} + \frac{1}{4πε_ok} \frac{q_3}{r_3} + \frac{1}{4πε_ok} \frac{-q_4}{r_4}
\footnotesize \boxed { V = \frac{1}{4πε_ok} \frac{q_1}{r_1} - \frac{q_2}{r_2} + \frac{q_3}{r_3} - \frac{-q_4}{r_4} }