आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है, प्रकाश का प्रकीर्णन

आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है यह प्रकाश के प्रकीर्णन पर आधारित एक घटना हैं आइए इस घटना को विस्तार से समझते हैं।

आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है

सूर्य के दृश्य प्रकाश में लाल रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य अधिकतम होती है जबकि बैगनी तथा नीले रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होती है। अतः इस प्रकार लॉर्ड रैले नियम के अनुसार, लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन न्यूनतम तथा बैगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिकतम होता है।

सूर्य का प्रकाश जब वायुमंडल में प्रवेश करता है तो वायुमंडल में उपस्थित अशुद्धियों जैसे धुंआ, धूल, कण आदि के कारण प्रकाश का अवशोषण होकर यह चारों दिशाओं में बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकाश नीला व बैगनी रंग का होता है। चूंकि नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन, बैगनी रंग के प्रकाश के प्रकीर्णन की तुलना में 10 गुना अधिक होता है। अतः हमारी आंखों में पहुंचने वाले प्रकीर्णित प्रकाश में नीले रंग की तीव्रता अधिक होती है जिस कारण हमें आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।

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समुद्र तथा महासागरों के पानी का रंग नीला दिखाई देना भी प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही होता है।

Note – यह नीला रंग आकाश को नहीं वरन् वायुमंडलीय गैसों से प्रकीर्णित प्रकाश का रंग होता है। इसी कारण रात में या जब सूर्य का प्रकाश उपलब्ध नहीं होता है तब आकाश का रंग काला दिखाई देता है।


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