एम्पीयर का परिपथ नियम किसे कहते हैं इसकी उत्पत्ति या सिद्ध कीजिए? यह एक महत्वपूर्ण प्रशन है इसकी वार्षिक परीक्षाओं में आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसलिए सभी छात्र एम्पीयर के परिपथ नियम को अच्छे से समझें और लिखकर अभ्यास करें चित्र पर ज्यादा ध्यान दें।
एम्पीयर का परिपथ नियम
एम्पीयर के परिपथ नियम के अनुसार, किसी बंद परिपथ के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र \overrightarrow{B} का रेखीय समाकल \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} परिपथ द्वारा घिरी कुल धारा i का µ0 गुना होता है। अर्थात्
\footnotesize \boxed { \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = µ_0i }
इस समीकरण को एम्पीयर का परिपथ नियम (Ampere circuital law in Hindi) कहते हैं। जहां µ0 निर्वात् की चुंबकीयशीलता हैं। जिसका मान 4π × 10-7 न्यूटन/एंपियर2 होता है।
Note – छात्र ध्यान दें कि परीक्षाओं में एंपीयर का परिपथ नियम अगर दो नंबर में पूछा जाता है तो केवल नियम ही करना, अगर यह नियम दीर्घ प्रशन 4 नंबर में पूछा जाता है तो उसकी उत्पत्ति यानी एंपीयर के परिपथ नियम को सिद्ध करना होता है। जो हमने नीचे किया है।
एम्पीयर के परिपथ नियम की उत्पत्ति
माना XY लंबाई का एक तार है जिसमें i धारा प्रवाहित हो रही है। तार से r त्रिज्या की दूरी पर एक बिंदु P है। जिस पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।

तब इसके लिए तार के केंद्र से चारों ओर r त्रिज्या का एक वृत्त खींचते हैं। यह वृत्त बिंदु P से होकर जात है। तो बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र
B = \large \frac{µ_0i}{2πr} समी.①
वृत्त के प्रत्येक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता \overrightarrow{B} का परिणाम समान होगा। तथा सदिश \small \overrightarrow{B} व \small \overrightarrow{dℓ} एक ही दिशा में होंगे।
अतः \overrightarrow{B} का पथ के अनुदिश रेखीय समाकलन
\small \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = \small \oint B dℓ cos0
\small \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = \small B \oint dℓ
चूंकि \small \oint dℓ पथ की लंबाई है। क्योंकि पथ वृत्ताकार आकृति का है इसलिए इसकी लंबाई 2πr होगी।
अर्थात् \small \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = B × 2πr
समी.① से B का मान रखने पर
\small \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = \large \frac{µ_0i}{2πr} × 2πr
\small \footnotesize \boxed { \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = µ_0i }
यही एम्पीयर के परिपथ नियम का समीकरण है। अर्थात् इस प्रकार एम्पीयर के परिपथ नियम को सिद्ध किया जाता है।
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एम्पीयर के परिपथ नियम के अनुप्रयोग
एम्पीयर के परिपथ नियम के कई अनुप्रयोग हैं।
1. अनंत लंबाई के धारावाहिक तार के कारण चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करना
माना एक अनंत लंबाई का धारावाही चालक तार है जिसमें i धारा प्रवाहित हो रही है तार से r दूरी पर एक बिंदु P है जिस पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।

तो इसके लिए r त्रिज्या का एक वृत्त खींचते हैं जो बिंदु P से होकर गुजरता है। बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र \overrightarrow{B} तथा \overrightarrow{dℓ} एक ही दिशा में है। अर्थात् θ = 0°
तो एंपियर के नियम से
\small \oint \overrightarrow{B} · \overrightarrow{dℓ} = µ0i
\small \oint B dℓ cos0° = µ0i
B \small \oint dℓ = µ0i
B(2πr) = µ0i
\footnotesize \boxed { B = \frac{µ_0i}{2πr} }
एंपीयर के परिपथ नियम के अनुप्रयोग दो ओर हैं।
2. धारावाही टोराइड के कारण चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करना।
3. धारावाही परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करना।