एम्पीयर मैक्सवेल परिपथ नियम
इस नियम के अनुसार, माना एक समांतर प्लेट संधारित्र C ऐसे विद्युत परिपथ में जुड़ा है जिसमें समय के साथ परिवर्ती धारा i प्रवाहित हो रही है। समांतर प्लेट संधारित्र के बाहरी किसी बिंदु P पर चुंबकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए धारावाही चालक को केंद्र मानकर r त्रिज्या का एक वृत्ताकार लूप लेते हैं। इसको तल चालक तार के लंबवत होता है। बिंदु P इस वृत्ताकार लूप की परिधि पर स्थित है। चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है।

तब एम्पीयर के परिपथ नियम के अनुसार
\small \oint \overrightarrow{B} · d \overrightarrow{ℓ} = µ0i
\oint B dℓ cosθ = µ0i
चूंकि वृत्ताकार लूप, धारावाही चालक तार के लंबवत है तब θ = 0°
तो \oint B dℓ cos0° = µ0i
तथा B \oint dℓ = µ0i
चूंकि \oint dℓ = 2πr होता है तो
B × 2πr = µ0i
माना यदि समांतर प्लेट संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल A एवं उन पर आरोपित q आवेश है तथा प्लेटों पर आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है तो समांतर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र
E = \large \frac{σ}{ε_o}
सूत्र σ = q/A से
E = \large \frac{q}{Aε_o} समी.(1)
गौस की प्रेमय के अनुसार, प्लेटों के बीच समतल सतह से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स
ΦE = E · A
E का मान समी.(2) से रखने पर विद्युत फ्लक्स
ΦE = \large \frac{q}{Aε_o} · A
ΦE = \large \frac{q}{ε_o}
या q = ΦE × εo समी.(2)
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यदि संधारित्र की प्लेटों पर आरोपित आवेश समय के साथ परिवर्तनशील हो, तो इसके लिए धारा
सूत्र q = it से
i = \large \frac{dq}{dt}
समी.(3) से q का मान रखने पर धारा
i = \large \frac{d(Φ_E × ε_o)}{dt}
या i = εo \left(\frac{dΦ_E}{dt}\right)
इस विद्युत धारा को मैक्सवेल की विस्थापन धारा कहते हैं। इसे द्वारा id प्रदर्शित किया जाता है। इसका मात्रक एम्पीयर होता है। तो
id = εo \left(\frac{dΦ_E}{dt}\right) समी.(3)
यह तो हम पिछले अध्याय में पढ़ चुके हैं कि किसी भी बंद परिपथ में प्रवाहित कुल धारा, सदैव चालन धारा ic तथा विस्थापन धारा id के योग के बराबर होती है। अर्थात
i = ic + id
अब एम्पीयर के परिपथ नियम से से
\small \oint \overrightarrow{B} · d \overrightarrow{ℓ} = µ0i
धारा i का मान रखने पर
\small \oint \overrightarrow{B} · d \overrightarrow{ℓ} = µ0(ic + id)
समी.(3) से id का मान रखने पर
\small \oint \overrightarrow{B} · d \overrightarrow{ℓ} = µ0ic + µ0 εo \left(\frac{dΦ_E}{dt}\right)
इस समीकरण को एम्पीयर मैक्सवेल का परिपथ नियम कहते हैं।