संधारित्र का संयोजन, श्रेणी क्रम तथा समांतर क्रम संयोजन का व्यंजक

संधारित्र का संयोजन

अनेक प्रयोगों में धारिता में परिवर्तन करने के लिए दो अधिक संधारित्रों को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता पड़ती है। संधारित्रों को जोड़ने के दो प्रमुख क्रम हैं।
1. श्रेणी क्रम संयोजन
2. समांतर क्रम संयोजन

1. संधारित्र का श्रेणी क्रम संयोजन

श्रेणी क्रम संयोजन के अंतर्गत पहले संधारित्र की दूसरी प्लेट को दूसरे संधारित्र की पहली प्लेट से जोड़कर तथा दूसरे संधारित्र की दूसरी प्लेट को तीसरे संधारित्र की पहली प्लेट से जोड़ देते हैं। ओर यदि संधारित्र की संख्या अधिक है तो आगे भी इसी क्रम में जोड़ते हैं। संधारित्र के इस संयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते हैं।
Note – यह सारी परिभाषा चित्र से बनाई गई है इसलिए सभी छात्र चित्र को ध्यान से समझें।

संधारित्र का श्रेणी क्रम संयोजन

माना तीन संधारित्र C1, C2 एवं ,C3 हैं। इनको श्रेणी क्रम में दो X और Y बिंदुओं के बीच जोड़ा गया है। तो प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों पर आवेश समान होगा। जबकि प्रत्येक प्लेटों के बीच विभवांतर क्रमशः V1, V2 एवं V3 होंगे। तब

V1 = \frac{q}{C_1}
V2 = \frac{q}{C_2}
तथा V3 = \frac{q}{C_3}
माना X और Y बिंदुओं के बीच कुल विभवांतर V है तो
V = V1 + V2 + V3
इनके मान रखने पर
V = \frac{q}{C_1} + \frac{q}{C_2} + \frac{q}{C_3} समीकरण (1)
यदि X और Y बिंदुओं के बीच तुल्य धारिता C हो तो
V = \frac{q}{C} समीकरण (2)
अतः समीकरण (1) व समीकरण (2) की तुलना करने पर
\frac{q}{C} = \frac{q}{C_1} + \frac{q}{C_2} + \frac{q}{C_3}
\frac{q}{C} = q \left( \frac{1}{C_1} + \frac{1}{C_2} + \frac{1}{C_3} \right)
\footnotesize \boxed { \frac{1}{C} = \frac{1}{C_1} + \frac{1}{C_2} + \frac{1}{C_3} }

यही संधारित्र का श्रेणी क्रम संयोजन का सूत्र है। श्रेणी क्रम में जुड़े सभी संधारित्र पर आवेश की मात्रा समान होती है।
अतः स्पष्ट होता है कि दो या अधिक संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। तो उनकी तुल्य धारिता का व्युत्क्रम, दोनों संधारित्रों की अलग-अलग धारिताओं के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है।

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2. संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन

समांतर क्रम संयोजन में दो या दो से अधिक संधारित्र को एक साथ जोड़ने के लिए प्रत्येक संधारित्र की पहली प्लेट को एक बिंदु X से जोड़ देते हैं। तथा प्रत्येक संधारित्र की दूसरी प्लेट को दूसरे बिंदु Y से जोड़ देते हैं। ओर यदि अधिक संधारित्र हैं। तो आगे भी इसी क्रम में जोड़ते हैं। तब संधारित्रों के इस संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं।

संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन

माना तीन संधारित्र C1, C2 एवं ,C3 हैं। इनको समांतर क्रम में दो X और Y बिंदुओं के बीच जोड़ा गया है। तो प्रत्येक संधारित्र पर विभवांतर समान होगा। जबकि संधारित्रों पर आवेश क्रमशः q1, q2 एवं ,q3 होगा। तब

q1 = C1V
q2 = C2V
तथा q3 = C3V
यदि तीनों संधारित्र पर कुल आवेश q है तो आवेश के संरक्षण से
q = q1 + q2 + q3
सभी के मान रखने पर
q = C1V + C2V + C3V समीकरण (1)
यदि X और Y बिंदुओं के बीच तुल्य धारिता C हो तो
q = CV समीकरण (2)
अतः समीकरण (1) व समीकरण (2) की तुलना करने पर
CV = C1V + C2V + C3V
CV = V(C1 + C2 + C3)
\footnotesize \boxed { C = (C_1 + C_2 + C_3) }

यही संधारित्र का समांतर क्रम संयोजन का सूत्र है। समांतर क्रम में जुड़े सभी संधारित्र पर विभवांतर की मात्रा समान होती है।
अतः स्पष्ट होता है कि दो या अधिक संधारित्र समांतर क्रम में जुड़े हैं। तो उनकी तुल्य धारिता, दोनों संधारित्रों की अलग-अलग धारिताओं के योग के बराबर होती है।

संधारित्र का संयोजन संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 संधारित्र को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक संधारित्र पर समान होगा?

Ans. आवेश

Q.2 संधारित्रों को कितने प्रकार से संयोजित किया जा सकता है?

Ans. दो – श्रेणी क्रम तथा समांतर क्रम


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