कूलाम का नियम

वैज्ञानिक कूलाम ने प्रयोगों के आधार पर दो आवेशों के बीच लगने वाले बल के संबंध में एक नियम का प्रतिपादन किया। जिसे कूलाम का नियम (coulomb’s law in Hindi) कहते हैं।
Kulam ke niyam के अनुसार, “ दो स्थित बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल, दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है। तथा उन आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्यूत्क्रमानुपाती होता है। ”

माना दो आवेश q1 तथा q2 हैं। जो एक दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं। तब इनके बीच लगने वाला बल
F ∝ \large \frac {q_1q_2}{r^2}
F = k \large \frac {q_1q_2}{r^2}
यहां k एक नियतांक है। जिसे परावैद्युतांक कहते हैं। इसका मान 9 × 109 होता है। इसका मात्रक न्यूटन-मीटर2/कूलाम2 होता है।
Note – छात्र ध्यान दें कि कहीं-कहीं k नियतांक के के स्थान पर \frac {1}{4πε_o} भी प्रयोग किया जाता है। जिसका मान 9 × 109 ही होता है इसलिए आपको जो अच्छा लगे आप उसको प्रयोग कर सकते हैं दोनों ही ठीक हैं।
\footnotesize \boxed { F = \frac {1}{4πε_o} \frac {q_1q_2}{r^2} } न्यूटन
\frac {1}{4πε_o} के स्थान पर इस का मान 9 × 109 न्यूटन-मीटर2/कूलाम2 प्रयुक्त करें तो कूलाम नियम
\footnotesize \boxed { F = 9 × 10^9 \frac {q_1q_2}{r^2} } न्यूटन
सदिश स्वरूप में कूलाम का नियम
\overrightarrow{F} = \frac {1}{4πε_o} \frac {q_1q_2}{r^2} \widehat{r}
आवेश का मात्रक कूलाम एक बहुत बड़ा मात्रक है इसके स्थान पर हम माइक्रोकूलाम (μC) का प्रयोग करते हैं
यदि एकांक दूरी अर्थात् r = 1 पर q1 = q2 = 1 है तो बल
F = 9 × 109 × \frac {1}{1}
F = 9 × 109 न्यूटन
Note – 1. एक कूलाम आवेश में 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
2. कूलाम नियतांक k का मान 9 × 109 होता है तथा इसका मात्रक न्यूटन-मीटर2/कूलाम2 होता है
3. कूलाम का नियम न्यूटन के तृतीय नियम का पालन करता है।
कूलाम के नियम का महत्व
कूलाम के नियम आवेशित वस्तुओं के बीच कार्यरत बल का अध्ययन तो होता ही है। साथ ही उन बलों के अध्ययन करने में भी सहायता मिलती है। जिसके कारण परमाणु के इलेक्ट्रॉन उसके नाभिक के साथ बंधकर परमाणु की रचना करते हैं।
वायु अथवा निर्वात् की विद्युतशीलता ε0
वायु अथवा निर्वात् की विद्युतशीलता का मान 8.85 × 10-12 होता है। एवं इसका मात्रक कूलाम2/न्यूटन-मीटर2 होता है। वायु अथवा निर्वात् की विद्युतशीलता का विमीय सूत्र [M-1L-3T4A2] है। इसको ‘ एपसाइलन नौट ’ कहते हैं। एवं इसे ε0 से प्रदर्शित करते हैं।
पराविद्युत माध्यम की विद्युतशीलता ε
इसे पराविद्युत माध्यम की विद्युतशीलता कहते हैं इसको ε से प्रदर्शित करते हैं।
निर्वात की विद्युतशीलता, परावैद्युतांक तथा पराविद्युत माध्यम की विद्युतशीलता में संबंध
कूलाम के नियम को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है।
F = \frac {1}{4πε} \frac {q_1q_2}{r^2} समीकरण (1)
यदि बिंदु आवेश वायु अथवा निर्वात् के स्थान पर किसी और परावैद्युत माध्यम जैसे तेल, मोम, कांच आदि में रखा हैं। तो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला विद्युत बल
F = \frac {1}{4πε_ok} \frac {q_1q_2}{r^2} समीकरण (2)
जहां k एक नियतांक है। जिसे परावैद्युतांक कहते हैं। इसका मान वायु अथवा निर्वात् के लिए एक होता है। तथा अन्य परावैद्युत माध्यम के लिए एक से अधिक होता है।
समीकरण (1) व समीकरण (2) की आपस में तुलना करने पर
\frac {1}{4πε} \frac {q_1q_2}{r^2} = \frac {1}{4πε_ok} \frac{q_1q_2}{r^2}
ε0k = ε
\footnotesize \boxed { k = \frac{ε}{ε_o} }
आशा करते हैं कि कूलाम के नियम से संबंधित नहीं है लेख आपको पसंद आया होगा अगर आपको इसको समझने में कोई परेशानी हो तो आप हमें कमेंट से बताएं हम आपकी समस्या का जल्द ही समाधान कर देंगे।
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