नेत्र दोष, निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष की परिभाषा, निवारण, अंतर, चित्र

नेत्र मनुष्य के लिए अनमोल अंग है इसी के द्वारा हम इस रंग बिरंगे संसार को देख पाते हैं लेकिन इस नेत्र में कभी-कभी दोष भी उत्पन्न हो जाते हैं जो नीचे दिए गए हैं।

नेत्र दोष

सामान्य नेत्र में उसके दृष्टि विस्तार में स्थित सभी बिंदुओं का लेंस द्वारा रेटिना पर स्पष्ट प्रतिबिंब बनता है। यदि लेंस द्वारा रेटिना पर बनने वाला यह प्रतिबिंब स्पष्ट न हो तो नेत्र में दोष उत्पन्न हो जाते हैं। जिन्हें नेत्र दोष (defects of vision in Hindi) कहते हैं।

नेत्र में दृष्टि संबंधी दो मुख्य दोष पाए जाते हैं। अर्थात नेत्र में दो प्रकार के दोष होते हैं।
1. निकट दृष्टि दोष
2. दूर दृष्टि दोष

निकट दृष्टि दोष

वह दोष जिसमें मनुष्य को निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु अधिक दूरी पर स्थित वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। तब इस प्रकार के दोष को निकट दृष्टि दोष (myopia in Hindi) कहते हैं। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे मायोपिया कहते हैं।
निकट दृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता है बल्कि उससे पहले किसी बिंदु C पर ही बन जाता है।

निकट दृष्टि दोष

निकट दृष्टि दोष के कारण

दूर दृष्टि दोष दो कारणों से हो सकते है
1. नेत्र में लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी सामान्य से अधिक हो जाती है।
2. नेत्र लेंस की वक्रता त्रिज्या का बढ़ जाना जिसके फलस्वरूप फोकस दूरी का कम हो जाना।

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निकट दृष्टि दोष का निवारण

निकट दृष्टि दोष का निवारण

चूंकि निकट दृष्टि दोष में अनंत पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना से पहले ही बन जाता है। यदि आपतित समांतर किरणों को नेत्र लेंस पर पड़ने से पहले कुछ अपसरित कर दिया जाए तो प्रतिबिंब लेंस से कुछ दूर हट कर रेटिना पर बन सकता है। अतः दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए अवतल लेंस से बने चश्मे का प्रयोग किया जाता है।

दूर दृष्टि दोष

वह दोष जिसमें मनुष्य को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु निकट स्थित वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है। तब इस प्रकार के दोष को दूर दृष्टि दोष (hypermetropia in Hindi) कहते हैं। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे हाइपरमेट्रोपिया कहते हैं।
दूर दृष्टि दोष में वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता है बल्कि उससे कुछ दूरी पर किसी बिंदु C पर ही बन जाता है।

दूर दृष्टि दोष

दूर दृष्टि दोष के कारण

दूर दृष्टि दोष दो कारणों से हो सकते है
1. नेत्र में लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी सामान्य से कम हो जाती है।
2. नेत्र लेंस की वक्रता त्रिज्या का कम हो जाना जिसके फलस्वरूप फोकस दूरी बढ़ जाना अर्थात् नेत्र की समंजन क्षमता का कम हो जाना।

दूर दृष्टि दोष का निवारण

दूर दृष्टि दोष का निवारण

दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस से बने चश्मे प्रयोग किए जाते हैं। उत्तल लेंस सामान्य निकट बिंदु पर स्थित वस्तु से आने वाली किरणों को कुछ अभिसरित कर देता है जिससे नेत्र लेंस द्वारा बना अंतिम प्रतिबिंब लेंस की ओर आकर रेटीना पर बनने लगता है।

Note – निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष में अंतर भी परीक्षा में पूछा जा सकता है।
इन दोनों को याद रखने का सबसे आसान तरीका यह है कि जो दोष है उसमें वहीं रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी।
जैसे – दूर दृष्टि दोष है तो दूर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी एवं निकट रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देगी। तथा इसके विपरीत यदि निकट दृष्टि दोष है तो निकट रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई देगी एवं दूर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देगी।

नेत्र दोष संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 नेत्र दोष कितने प्रकार के होते हैं?

Ans. नेत्र दोष दो प्रकार के होते हैं। निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष।

Q.2 निकट दृष्टि दोष में प्रतिबिंब कहां बनता है?

Ans. निकट दृष्टि दोष में प्रतिबिंब रेटिना से पहले ही बन जाता है।

Q.3 दूर दृष्टि दोष का निवारण किस लेंस से होता है?

Ans. दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस प्रयोग होता है।

Q.4 दूर दृष्टि दोष का दूसरा नाम क्या है?

Ans. हाइपरमेट्रोपिया


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