प्रत्यावर्ती धारा (ac current in Hindi)
प्रत्यावर्ती धारा को ~ इस चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसके द्वारा ही स्पष्ट होता है कि यह कभी अधिकतम मान प्राप्त करती है तो कभी न्यूनतम मान प्राप्त करती है। भारत के घरों में 50 हर्ट्स आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा प्रयोग की जाती है।
50 हर्ट्स का मतलब होता है कि यह धारा हर एक सेकंड में 50 बार जलती है तथा 50 बार बंद होती है। परंतु यह समय बहुत ही कम है इसलिए हमारी आंखें इसे देख नहीं पाती हैं। (प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर)
दिष्ट धारा
दिष्ट धारा एक सीधी सरल रेखा — में चलती है। जिस कारण इसकी आवृत्ति शून्य होती है। अर्थात यह लगतार जलती ही रहती है।
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प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के बीच अंतर
AC or DC mein kya antar hai इसको कुछ बिंदुओं द्वारा हमने प्रदर्शित किया है। जो निम्न प्रकार से हैं।
1. प्रत्यावर्ती धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना ट्रांसफार्मर की सहायता से बहुत ही आसान हो जाता है। प्रत्यावर्ती धारा को किसी भी बिजली घर से तारों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से तथा कम खर्च में पहुंचाया जा सकता है। एवं इस प्रकम में ऊर्जा की हानि भी बहुत ही कम या न के बराबर होती है। जबकि इसके विपरीत दिष्ट धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना बहुत ही मुश्किल है। साथ ही इसमें खर्चा भी ac की तुलना में अधिक होगा और ऊर्जा की हानि भी होगी।
2. प्रत्यावर्ती धारा के माध्यम से चलने वाले यंत्र, दिष्ट धारामाध्यम से चलने वाले यंत्रों से अधिक सुदृढ़ व सुविधाजनक होते हैं।
4. प्रत्यावर्ती धारा के तार को कोई मनुष्य छु लेता है। तो उसे बहुत अधिक तेजी से झटका लगता है। जबकि दिष्ट धारा में ऐसा नहीं होता है। इसके तार को छूने पर प्रत्यावर्ती धारा की तुलना कम तेजी से झटका लगता है। इसी कारण प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक होती है।
5. प्रत्यावर्ती धारा का अधिकतम भाग तारों के बाहरी सिरों पर ही प्रवाहित होता है। जिस कारण प्रत्यावर्ती धारा के तारों को मोटा नहीं बनाया जाता है। बल्कि इसे पतले पतले तारों को मिलाकर एक मोटे तार में परिवर्तित कर दिया जाता है। इस प्रकार के तारों में प्रत्यावर्ती धारा का प्रवाह बहुत अच्छी तरह होता है। परंतु दिष्ट धारा में ऐसा कुछ नहीं होता है। यह किसी भी प्रकार के तार में आसानी से प्रवाहित हो जाती है।