प्रकाश का विवर्तन
जब प्रकाश किरणें किसी तीक्ष्ण अवरोध अथवा झिर्री पर पड़ती हैं। तो प्रकाश किरणें अवरोध अथवा झिर्री के किनारों की ओर आंशिक रूप से मुड़ जाती हैं। प्रकाश किरणों की इस घटना को प्रकाश का विवर्तन (diffraction of light in Hindi) कहते हैं।
जब समतल तरंगाग्र किसी छोटे छिद्र (झिर्री) की ओर आगे बढ़ता है। तब तरंगाग्र का अधिकांश भाग परावर्तित होकर वापस लौट आता है तथा झिर्री में से बहुत छोटा सा भाग ही होकर गुजरता है। जैसे ही समतल तरंगाग्र झिर्री के पास पहुंचता है तो हाइगेंस के सिद्धांत के अनुसार झिर्री नए तरंग स्रोत का कार्य करने लगता है। यह समतल तरंगाग्र उसी चाल से आगे की ओर बढ़ता है। जिस चाल से इसने छिद्र में प्रवेश किया था। यह तो हम पढ़ ही चुके हैं कि समांग माध्यम में तरंगाग्र सदैव तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत् होता है। अतः झिर्री में से गुजरने पर तरंगे केवल सीधे ही दिशा में नहीं जाती हैं बल्कि तरंगे मुड़ने भी लगती हैं। अतः तरंगों के मुड़ने की इस घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
प्रकाश में विवर्तन के लिए आवश्यक शर्त
प्रकाश के विवर्तन के लिए झिर्री अथवा तीक्ष्ण अवरोध का आकार, प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिए। प्रकाश में विवर्तन के लिए आवश्यक शर्त है।
विवर्तन की घटना को दो भागों में बांटा गया है।
फ्रेनल विवर्तन तथा फ्राउनहोफर विवर्तन
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फ्रेनल विवर्तन
फ्रांसीसी वैज्ञानिक फ्रेनल ने यह सर्वप्रथम सिद्ध किया कि प्रकाश तरंगे अनुप्रस्थ प्रकृति की होती हैं।
फ्रेनल विवर्तन में प्रकाश स्रोत अथवा पर्दा जिस पर विवर्तन चित्र देखा जाता है। यह अवरोध अथवा द्वारक से सीमित दूरी पर स्थित होते हैं। इस प्रकार के विवर्तन में लेंसों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। एवं इसमें आपाती तरंगाग्र गोलाकार या बेलनाकार होता है।
फ्राउनहोफर विवर्तन
फ्राउनहोफर विवर्तन में प्रकाश स्रोत तथा पर्दा जिस पर विवर्तन चित्र देखा जाता है। यह अवरोध अथवा द्वारक से अनंत दूरी पर स्थित होते हैं। इस प्रकार के विवर्तन में प्रकाश स्रोत तथा पर्दे को दो लेंसों के फोकस तलों में रखा जाता है। एवं इसमें आपाती तरंगाग्र समतल होता है।