हाइगेंस के तरंग सिद्धांत के प्रयोग द्वारा तरंगों के परावर्तन की व्याख्या कीजिए? यह प्रश्न महत्वपूर्ण है एवं इसी प्रकार का एक प्रश्न और है जिसको हम पिछले लेख में पढ़ चुके हैं इन दोनों में से कोई एक प्रश्न बोर्ड परीक्षा में जरूर पूछ लिया जाता है इसलिए आप इन दोनों को अच्छी तरह समझे और याद करने का प्रयास करें।
हाइगेंस सिद्धांत द्वारा तरंगों का परावर्तन
जब कोई तरंग किसी चिकने व पॉलिशदार तल पर गिरती है तो तल से टकराकर उसका अधिकांश भाग वापस उसी माध्यम में लौट आता है। इस घटना को परावर्तन कहते हैं।

माना XX’ एक परावर्तक पृष्ठ है। जिस पर एक समतल तरंगाग्र AB इस प्रकार आपतित होता है कि तरंग संचरण की किरण परावर्तक पृष्ठ के बिंदु A पर अभिलंब से i कोण बनाती है। माना तरंगाग्र की चाल v है तथा तरंगाग्र के बिंदु B को परावर्तक पृष्ठ के बिंदु A1 तक पहुंचने में t qसमय लगता है।
जैसे-जैसे तरंगाग्र AB आगे की बढ़ता जाता है यह परावर्तक पृष्ठ के बिंदुओं A और A1 के बीच के बिंदुओं से टकराता है। अतः हाइगेंस के सिद्धांत के अनुसार परावर्तक पृष्ठ के बीच स्थित सभी बिंदु द्वितीयक तरंगिकाओं के स्रोत बन जाते हैं। तथा A और A1 के बीच स्थित सभी बिंदुओं से द्वितीयक तरंगिकाएं निकलने लगती हैं। यह तरंगिकाएं परावर्तक पृष्ठ के दूसरे माध्यम में नहीं जाती हैं बल्कि पहले माध्यम में ही ऊपर की ओर v चाल से फैल जाती हैं।
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इस प्रकार सबसे पहले बिंदु A से द्वितीयक तरंगिकाएं चलती है जो समतल तरंगाग्र के बिंदु B से A1 तक की दूरी को t समय में तय करती हैं। तब
AB1 = vt
या BA1 = vt
अब समतल तरंगाग्र के बिंदु A को केंद्र मानकर AB1 त्रिज्या का एक गोलीय चाप खींचते हैं। तथा बिंदु A1 से इस चाप पर एक स्पर्श रेखा खींचते हैं। इस प्रकार A1B1 सभी द्वितीयक तरंगिकाओं को स्पर्श करेगा। अतः A1B1 परावर्तित तरंगाग्र होगा।
माना आपतित तरंगाग्र AB तथा परावर्तित तरंगाग्र A1B1, परावर्तक पृष्ठ XX’ के साथ क्रमशः i तथा r कोण बनाते हैं।
तब समकोण ∆ABA1 तथा ∆AA1B1 में
AB1 = BA1 = vt
चूंकि दोनों त्रिभुज समकोण हैं तब समकोण त्रिभुज प्रमेय द्वारा
∠ABA1 = ∠AB1A1
दोनों त्रिभुज ABA1 तथा AA1B1 के लिए भुजा AA1 एक उभयनिष्ठ भुजा है। तब इस प्रकार दोनों त्रिभुज सर्वांगसम त्रिभुज होंगे। अतः
∠BAA1 = ∠B1A1A
अतः \footnotesize \boxed { आपतन\,कोण\,i = परावर्तन\,कोण\,r }
चित्र द्वारा स्पष्ट होता है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में है। यह परिवर्तन का प्रथम नियम है। तथा तथा आपतन कोण i परिवर्तन कोण r के बराबर है। यह परिवर्तन का द्वितीय नियम है।
अतः इस प्रकार हाइगेंस के तरंग सिद्धांत के प्रयोग द्वारा परावर्तन के दोनों नियमों की व्याख्या की जा सकती है।
Good tricks sir