फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम, प्रथम व द्वितीय नियम क्या हैं Physics

फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम

प्रायोगिक प्रेक्षणों के आधार पर वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने दो नियमों का प्रतिपादन किया, जिन्हें फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम (Faraday’s law of electromagnetic induction in hindi) कहते हैं।

1. फैराडे का प्रथम नियम

किसी विद्युत परिपथ में विद्युत वाहक बल तब प्रेरित होता है। जब परिपथ द्वारा परिबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में समय के साथ परिवर्तन होता है तब प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण, चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन की ऋणात्मक दर के बराबर होता है। फैराडे के प्रथम नियम (Faraday first law in Hindi) को न्यूमैन का नियम भी कहते हैं।
माना ∆t समयांतराल में किसी परिपथ द्वारा परिबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में ∆Φ का परिवर्तन होता है। तब परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल ε है तो
\footnotesize \boxed { ε = - \frac{∆Φ}{∆t} }
अतः इस प्रकार स्पष्ट होता है कि चुंबकीय फ्लक्स का मात्रक वेबर तथा विद्युत वाहक बल का मात्रक वोल्ट परस्पर इस प्रकार संबंधित हैं।
1 वोल्ट = 1 वेबर/सेकेंड

यदि परिपथ एक कुंडली है। एवं जिसमें तार के N फेरे हैं। तब प्रेरित विद्युत वाहक बल
ε = -N \frac{∆Φ}{∆t}
\footnotesize \boxed { ε = \frac{-∆(NΦ)}{∆t} }

जहां NΦ को कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स ग्रंथिकाओं की संख्या कहा जाता है। एवं इसका मात्रक वेबर-टर्न होता है।
सूत्र द्वारा स्पष्ट होता है कि बंद कुंडली में फेरों की संख्या को बढ़ाकर प्रेरित विद्युत वाहक बल को बढ़ाया जा सकता है।

फैराडे के प्रथम नियम के उदाहरण

एक वर्गाकार पाश को पूर्व-पश्चिम तल में ऊर्ध्वाधर रखा गया है। जिसकी एक भुजा 10 सेमी लंबी है। तथा इसका प्रतिरोध 0.5 ओम है। 0.10 टेस्ला के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को उत्तर-पूर्व दिशा में तल के आर पार स्थापित किया गया है। चुंबकीय क्षेत्र को एकसमान दर से 0.70 सेकंड से शून्य तक लाया जाता है। तब इस समय अंतराल में प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा धारा का मान ज्ञात कीजिए?

हल – दिया है चुंबकीय क्षेत्र B = 0.1 टेस्ला
प्रतिरोध = 0.5 ओम
समय = 0.70 सेकंड
कुंडली का क्षेत्रफल सदिश, चुंबकीय क्षेत्र के साथ 45° का कोण बनाता है। तब प्रारंभिक चुंबकीय फ्लक्स
Φ = BA cosθ
मान रखने पर
Φ = \frac{0.1 × 10^{-2}}{\sqrt{2}}
Φ = \frac{10^{-3}}{\sqrt{2}}
अंतिम चुंबकीय फ्लक्स शून्य होगा।
प्रेरित विद्युत वाहक बल ε = \frac{|∆Φ|}{∆t}
मान रखने पर
ε = \frac{10^{-3}}{\sqrt{2} × 0.7}
हल करने पर
प्रेरित विद्युत वाहक बल ε = 103 वोल्ट = 1.0 मिलीवोल्ट
धारा i = \frac{ε}{R}
i = \frac{10^{-3}}{0.5}
अतः धारा i = 2 × 103 एम्पीयर = 2 मिलीएम्पीयर

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2. फैराडे का द्वितीय नियम

किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल अथवा प्रेरित धारा की दिशा सदैव इस प्रकार होती है कि यह उस कारक का विरोध करती है। जिसके कारण यह स्वयं उत्पन्न होती है। फैराडे के द्वितीय नियम (Faraday second law in Hindi) को लेंज का नियम भी कहते हैं। लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का पालन करता है।

फैराडे के नियम संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 क्या फैराडे का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन करता है?

Ans. हां, फैराडे का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन करता है।

Q.2 फैराडे के कितने नियम हैं?

Ans. माइकल फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के दो नियम हैं।

Q.3 फैराडे के प्रथम नियम का सूत्र क्या है?

Ans. ε = – dΦ/dt वोल्ट


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