L-C परिपथ क्या है धारा और विभवांतर के मध्य कलांतर | LC circuit in Hindi

L-C परिपथ

जब किसी परिपथ में धारिता C तथा प्रेरकत्व L को श्रेणीक्रम में जोड़कर उस परिपथ में एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत को जोड़ दिया जाता है। तब इस प्रकार बनने वाले परिपथ को LC परिपथ (LC circuit in Hindi) कहते हैं।

Note – छात्र ध्यान दें कि यह जो L-C परिपथ की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। यह परिभाषा को चित्र के अनुसार बनाया गया है। चित्र के अनुसार यह पूरी परिभाषा बन जाएगी। इसलिए आप सभी छात्र चित्र को ध्यान से समझें।

L-C परिपथ क्या है

प्रस्तुत चित्र में संधारित्र C तथा प्रेरकत्व L को श्रेणीक्रम में जोड़कर एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से परिपथ में जोड़ दिया गया है। तब इस दशा में संधारित्र के सिरों पर आरोपित विभवांतर VC परिपथ में प्रवाहित धारा i से π/2 पीछे होगा। तब विभवांतर तथा धारा के बीच 90° का कालांतर होगा। एवं इसके विपरीत प्रेरकत्व के सिरों पर विभवांतर VL परिपथ में प्रवाहित धारा i से π/2 आगे होगा। तब इस प्रकार VL तथा VC के बीच 180° का कलान्तर होगा। अर्थात ये दोनों कला में एक दूसरे के विपरीत होंगे। चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है।

LC परिपथ की प्रतिबाधा

LC परिपथ की प्रतिबाधा

यदि LC परिपथ में VL तथा VC का कुल विभवांतर V है तो
V = VL – VC

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Note – कहीं-कहीं V = VL – VC सूत्र को इस प्रकार भी लिखा जाता है।
V = VL ~ VC
यहां ~ चिन्ह का मतलब होता है कि VL या VC में से जो भी बड़ी राशि होगी उसमें से छोटी राशि को घटाया जाएगा। अर्थात माना यदि VL का मान 5 तथा VC का मान 8 है तो इसे इस प्रकार लिखा जाएगा।
V = VC – VL
V = 8 – 5

ओम के नियम से V= iR तथा VC = iXC एवं VL = iXL से
अतः उपरोक्त समीकरण में VC तथा VL के मान रखने पर
iR = iXL – iXC
R = XL – XC
यहां R को परिपथ का प्रतिरोध न कहकर इसे परिपथ की प्रतिबाधा कहते हैं। जिसे Z द्वारा दर्शाया जाता है। तब
LC परिपथ की प्रतिबाधा
\footnotesize \boxed { Z = V_L - V_C }

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आशा करते हैं कि LC परिपथ से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। LC परिपथ की आवृत्ति पर हमने एक अलग से स्पेशल लेख तैयार किया है ताकि उसको आसानी से समझा जा सके। उसका लिंक दिया ऊपर दिया गया है वहां से आप उस अध्याय कोई पढ़ सकते हैं।


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