सन् 1834 में जर्मन भौतिकवादी हेनरिक फ्रेडरिक लेंज ने एक नियम का उत्पत्ति की, जो प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा का स्पष्ट एवं संक्षिप्त रूप में वर्णन करता है। इस नियम को लेंज का नियम कहा जाता है।
लेंज का नियम
किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल या प्रेरित धारा की दिशा सदैव इस प्रकार की होती है कि यह उस कारक का विरोध करती है। जिसके कारण यह स्वयं उत्पन्न होती है। इसे लेंज का नियम (lenz law in Hindi) कहते हैं। लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होता है।
अर्थात् ओम के नियम के अनुसार
प्रेरित धारा \footnotesize \boxed { i = \frac{ε}{R} } समी.(1)
जहां i = प्रेरित धारा
ε = प्रेरित विद्युत वाहक
R = प्रतिरोध है।
फैराडे के नियम से प्रेरित विद्युत वाहक बल
ε = – N \frac{∆Φ}{∆t}
प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान समी.(1) में रखने पर
\footnotesize \boxed { i = - \frac{N × ∆Φ}{∆t ×R} }
प्रेरित आवेश q = i × ∆t से
q = \frac{N × ∆Φ}{∆t ×R} × ∆t
\footnotesize \boxed { q = \frac{N}{R} ∆Φ }
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लेंस के नियम की पुष्टि फैराडे नियम के द्वारा उत्पन्न किए गए प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है।
आसान भाषा में कहें तो फैराडे द्वारा उत्पन्न नियमों से हमें विद्युत धारा की दिशा का ज्ञान नहीं होता है। अतः लेंज ने प्रेरित विद्युत वाहक बल से उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा को ज्ञात करने के लिए एक नियम की पुष्टि की जिसे लेंज का नियम कहते हैं। लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन करता है।