ब्रिटिश वैज्ञानिक मैक्सवेल ने केवल गणितीय सूत्रों के आधार पर यह प्रदर्शित किया, कि जब किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा बहुत उच्च आवृत्ति से बदलती है तो उस परिपथ से ऊर्जा तरंगों के रूप में चारों दिशाओं में प्रसारित होने लगती है। इन ऊर्जा तरंगों को विद्युत चुंबकीय तरंगे कहते हैं।
इन तरंगों में विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र परस्पर एक दूसरे के लंबवत होते हैं एवं यह तरंग संचरण की दिशा के भी लंबवत होते हैं।
मैक्सवेल का विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत
मैक्सवेल के विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत के अनुसार, जब किसी विद्युत परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा बहुत उच्च आवृत्ति से बदलती है। अर्थात परिपथ में उच्च आवृत्ति के विद्युत दोलन उत्पन्न होते हैं। तो परिपथ से ऊर्जा तरंगों के रूप में चारों दिशाओं में उत्सर्जित होने लगती है इन तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इन तरंगों को विद्युत चुंबकीय तरंगे कहते हैं।
विद्युत चुंबकीय तरंगों में विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्र परस्पर एक दूसरे के लंबवत होते हैं।

मैक्सवेल ने गणनाओं द्वारा यह सिद्ध किया कि विद्युत चुंबकीय तरंगों की चाल 3 × 108 मीटर/सेकंड होती है जो की निर्वात में प्रकाश की चाल के बराबर है। तब इस आधार पर मैक्सवेल ने यह निष्कर्ष प्राप्त किया कि प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में संचरित होता है।
विद्युत चुंबकीय तरंग का वेग \footnotesize \boxed { C = \frac{E}{B} }
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विद्युत चुंबकीय तरंगें त्वरित आवेश द्वारा उत्पन्न की जाती हैं। स्थिर आवेश द्वारा यह तरंगे उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं। इन तरंगों के संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। विद्युत चुंबकीय तरंगें प्रकाश तरंगे होती हैं। क्योंकि इनमें प्रकाश की तरह अपवर्तित तथा परिवर्तित का गुण विद्यमान रहता है। विद्युत चुंबकीय तरंगों की चाल निर्वात में प्रकाश की चाल के बराबर होती है।