Padmakar Shivalkar, भारतीय क्रिकेट के एक अनमोल रत्न, का हाल ही में निधन हो गया है, जिससे क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। शिवालकर का जन्म 1940 में महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था, और उन्होंने अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी से घरेलू क्रिकेट में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।
कैसा रहा उनका करियर:

पद्माकर शिवालकर (Padmakar Shivalkar) ने 1966 से 1987 तक मुंबई की रणजी टीम के लिए खेलते हुए 124 प्रथम श्रेणी मैचों में 589 विकेट लिए। उनकी गेंदबाजी की औसत 19.69 थी, जो उनकी उत्कृष्टता को दर्शाती है। विशेष रूप से, उन्होंने 1972-73 के रणजी ट्रॉफी फाइनल में तमिलनाडु के खिलाफ 8 विकेट लेकर मुंबई को जीत दिलाई थी।
हालांकि शिवालकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन उनकी घरेलू क्रिकेट में उपलब्धियां उन्हें महान खिलाड़ियों की श्रेणी में रखती हैं। उनकी सटीक लाइन और लेंथ, साथ ही गेंद को घुमाने की क्षमता, बल्लेबाजों के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रही।
नहीं मिला भारत के लिए खेलने का मौका:

पद्माकर शिवालकर (Padmakar Shivalkar) को भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। जब वो खेलते थे तब भारतीय टीम में बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चन्द्रशेखर और एस वेंकटराघवन जैसे गेंदबाज स्पिनर थे जिस कारण पद्माकर शिवालकर (Padmakar Shivalkar) को कभी मौका नहीं मिला। उनके अलावा राजिंदर गोयल भी एक ऐसे ही स्पिनर थे जिनको भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।

शिवालकर के निधन से भारतीय क्रिकेट ने एक महान खिलाड़ी खो दिया है, जिसकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी। उनका योगदान और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा।
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