समांतर प्लेट संधारित्र
दो समतल अथवा समांतर लंबी धातु की प्लेटें तथा उनके बीच वायु अथवा पराविद्युत माध्यम उपस्थित हो तो इस प्रकार के समायोजन को समांतर प्लेट संधारित्र (parallel plate capacitor in hindi) कहते हैं।
Note – समांतर प्लेट संधारित्र का एनसीईआरटी बुक में नाम समांतर पट्टिका संधारित्र है। इसलिए आप कंफ्यूज न होना समांतर पट्टिका संधारित्र का मतलब समांतर प्लेट संधारित्र ही है।
समांतर प्लेट संधारित्र एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इस पर वार्षिक परीक्षा में प्रश्न पूछ लिया जाता है इसलिए सभी छात्र समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र एवं उसको प्रभावित करने वाले कारक तथा इससे संबंधित आंकिक प्रश्न को अच्छे से समझें और लिखकर अभ्यास करें।
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता

माना समांतर प्लेट संधारित्र में धातु की दो समतल P1 व P2 प्लेटें हैं। जो एक दूसरे से d दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच पराविद्युत पदार्थ k भर दिया जाता है। तथा प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है। जब प्लेट P1 को +q आवेश दिया जाता है। तो प्रेरण के कारण प्लेट P2 की भीतरी सतह पर उतना ही -q आवेश तथा बाहरी सतह पर +q आवेश उत्पन्न हो जाता है। चूंकि P2 प्लेट पृथ्वी से जुड़ी हुई है। इसलिए +q आवेश पृथ्वी में चला जाता है। तब इस प्रकार दोनों प्लेटों P1 और P2 पर बराबर तथा विपरीत आवेश होगा। यदि प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठ आवेश घनत्व σ है तो
σ = \frac{q}{A}
यदि दोनों प्लेटों के बीच उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है तो
E = \frac{σ}{ε_ok}
E = \large \frac{q}{Aε_ok} समीकरण (1)
दोनों प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवांतर
V = Ed
E का मान समीकरण (1) से रखने पर
V = \frac{qd}{Aε_ok}
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के सूत्र से
C = \frac{q}{V}
V का मान रखने पर
C = \frac{q}{qd/Aε_ok}
\footnotesize \boxed {C = \frac{Aε_ok}{d} } फैरड
वायु अथवा निर्वात् के लिए k = 1
\footnotesize \boxed {C = \frac{Aε_o}{d} } फैरड
जहां A = प्लेटो का क्षेत्रफल
εo = वायु अथवा निर्वात की विद्युतशीलता
k = परावैद्युतांक
d= दोनों प्लेटों के बीच की दूरी तथा
C = समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता है।
Note – समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से संबंधित एक प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है जो वार्षिक परीक्षाओं में जरूर पूछ लिया जाता है की
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
इस प्रश्न का उत्तर आप बिना कुछ याद करे, केवल सूत्र के माध्यम से ही पूरा अच्छी तरह दे सकते हैं।
सूत्र \footnotesize \boxed {C = \frac{Aε_ok}{d} }
अतः सूत्र से स्पष्ट होता है कि समांतर प्लेट संधारित्र में अधिक पराविद्युतांक वाला पदार्थ भर देने पर इसकी धारिता बढ़ जाती है। अथवा प्लेटों के बीच की दूरी को कम करके भी समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता बढ़ाई जा सकती है। एवं प्लेटों के क्षेत्रफल को बढ़ाकर भी समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
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समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारक
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता निम्नलिखित तीन बातों पर निर्भर करती है।
1. प्लेटो के क्षेत्रफल A पर
2. दोनों प्लेटों के बीच की दूरी d पर
3. प्लेटो के बीच के माध्यम k पर
इनको विस्तार से हमने संधारित्र की धारिता वाले लेख में समझाया है। उस लेख को जरूर पढ़ें।
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समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से सम्बन्धित प्रश्न
समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से संबंधित परीक्षाओं में आंकिक प्रश्न आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसलिए आप इस टाॅपिक से संबंधित सभी आंकिक प्रश्नों को हल करके जरूर देखें। जिसमें से एक प्रश्न को हल करने पर तरीका हमने आपको बताया है।
Q.1 एक समांतर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 40 सेमी2 है। एवं दोनों प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र की तीव्रता 30 न्यूटन/कूलाम है। तो प्रत्येक प्लेट पर आवेश को ज्ञात कीजिए?
हल – दिया है प्लेट का क्षेत्रफल A = 40 सेमी2 या A = 40 × 10-4 मीटर2
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = 30 न्यूटन/कूलाम
धारिता का सूत्र q = CV समीकरण (1)
जहां प्लेटों के बीच विभवांतर V तथा q प्लेटो पर आवेश है
यदि A प्लेटो का क्षेत्रफल तथा d दोनों प्लेटों के बीच की दूरी है तो
C = \frac{Aε_o}{d}
C का मान समीकरण (1) में रखने पर
q = \frac{Aε_o}{d} × V
या V = \frac{qd}{Aε_o} समीकरण (2)
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \frac{V}{d} से
समीकरण (2) से V का मान रखने पर
E = \frac{qd}{Aε_od}
या E = \frac{q}{Aε_o}
चूंकि हम जानते हैं कि विद्युतशीलता εo का मान 8.85 × 10-12 कूलाम2/न्यूटन-मीटर2 होता है। तो
E = \frac{q}{Aε_o}
या q = E × A × εo
E , A तथा εo के मान रखने पर
q = 30 × 40 × 10-4 × 8.85 × 10-12
q = 12 × 10-14 × 8.85
q = 106.20 × 10-14
या q = 1.06 × 10-12 कूलाम
यह आंकिक प्रश्न कठिन था। इस प्रश्न को हल करने में संधारित्र की धारिता के केवल एक सूत्र का ही प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि कई सूत्रों से एक नई सूत्र को बनाया गया है। जिससे यह प्रश्न हल हुआ है। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। चूंकि यहां सूत्रों से सूत्र बनाए गए हैं इसीलिए अच्छे से समझें।