परावर्ती दूरदर्शी किसे कहते हैं, संरचना, विशेषताएं, आवर्धन क्षमता का सूत्र, किरण आरेख

परावर्ती दूरदर्शी

वह प्रकाशिक यंत्र जिसके द्वारा दूर स्थित वस्तुओं का चमकीला प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए अभिदृश्यक लेंस के स्थान पर बड़े द्वाराक का अवतल दर्पण प्रयोग किया जाता है। जिससे वस्तु से आने वाले प्रकाश की अधिक से अधिक मात्रा एकत्रित की जा सके। इसलिए ही इसे परावर्ती दूरदर्शी (reflecting telescope in Hindi) कहते हैं।

संरचना

परावर्ती दूरदर्शी

परावर्ती दूरदर्शी में अधिक फोकस दूरी तथा बड़े द्वारक का अवतल दर्पण M प्रयोग किया जाता है। यह दर्पण एक चौड़ी नली के एक सिरे पर लगा रहता है। इस चौड़ी नली के पास में एक ओर नली लगी होती है। जिसमें कम फोकस दूरी तथा छोटे द्वारा का उत्तल लेंस लगा होता है। जिसे चित्र में E द्वारा प्रदर्शित किया गया है। यह उत्तल लेंस नेत्रिका का कार्य करता है। चौड़ी नली में दर्पण के फोकस से कुछ दूरी पहले एक समतल दर्पण M’ लगा रहता है। जो मुख्य अक्ष से 45° के कोण पर झूका रहता है।

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परावर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता

परावर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता का सूत्र निम्न प्रकार से है।
परावर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
\footnotesize \boxed { M = -\frac{अंतिम\,प्रतिबिंब\,द्वारा\,आंख\,पर\,बना\,दर्शन\,कोण}{वस्तु\,द्वारा\,आंख\,पर\,बना\,दर्शन\,कोण} }
तथा जब अंतिम प्रतिबिंब अनन्त पर बनता है तो
परावर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
\footnotesize \boxed { M = - \frac{f_o}{f_e} }
जहां fo = अवतल दर्पण की फोकस दूरी तथा fe = नेत्रिका लेंस की फोकस दूरी है।

परावर्ती दूरदर्शी की विशेषताएं

  1. परावर्ती दूरदर्शी द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब अपवर्ती दूरदर्शी की तुलना में अधिक चमकीला प्राप्त होता है।
  2. परावर्ती दूरदर्शी में अभिदृश्यक बड़े द्वारक का होता है।
  3. परावर्ती दूरदर्शी द्वारा बने प्रतिबिंब में वर्ण विथपन का दोष नहीं होता है। जबकि यह दोष अपवर्ती दूरदर्शी में होता है।

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