प्रकाश का अपवर्तन क्या है इसके कितने नियम हैं लिखें, उदाहरण समझाइए

प्रकाश का अपवर्तन

जब प्रकाश एक माध्यम से चलता हुआ दूसरे किसी माध्यम में प्रवेश करता है तो दूसरे माध्यम में प्रकाश अपने मार्ग से विचलित हो जाता है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन (refraction of light in hindi) कहते हैं।
दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश का वेग तथा दिशा बदल जाती है। लेकिन प्रकाश की आवृत्ति नहीं बदलती है।

प्रकाश का अपवर्तन

प्रकाश के अपवर्तन के उदाहरण

प्रकाश के अपवर्तन को चित्र द्वारा आसानी से समझते हैं।
उपरोक्त चित्र में A आपतित किरण, B अपवर्तित किरण तथा N अभिलंब हैं। एवं i आपतन कोण तथा r अपवर्तन कोण को निरूपित करता है।
माना पहला माध्यम वायु तथा दूसरा माध्यम पानी है तो
प्रकाश की किरण जब वायु से पानी में प्रवेश करती है तो इन दोनों माध्यमों को अलग करने वाले तल पर प्रकाश की किरण अपने मार्ग से कुछ अलग होती हुई प्रतीत होती है। क्योंकि दूसरे माध्यम में प्रकाश की चाल और दिशा बदल जाती है जिसके कारण यह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। जैसा चित्र में दिखाया गया है। लेकिन प्रकाश की आवृत्ति नहीं बदलती है।
पहले माध्यम में प्रकाश की किरण को आपतित किरण तथा अपवर्तन के पश्चात दूसरे माध्यम में प्रकाश की किरण को अपवर्तित किरण कहते हैं।

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Note – किसी माध्यम का सघन अथवा विरल होना उस माध्यम में प्रकाश की चाल पर निर्भर करता है। निर्वात सर्वाधिक विरल माध्यम है क्योंकि इसमें प्रकाश की चाल अधिकतम होती है।
सघन माध्यम में विरल माध्यम की अपेक्षा प्रकाश की चाल कम होती है।
अतः किन्हीं दो माध्यमों के बीच अपवर्तन की प्रक्रिया में वह माध्यम जिसमें प्रकाश की चाल, दूसरे माध्यम में प्रकाश की चाल से अधिक होती है उसे विरल माध्यम कहा जाता है।

प्रकाश के अपवर्तन के नियम

प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं।
1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में होते हैं।
2. किन्ही दो माध्यमों के युगल के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण ज्या (sine) का अनुपात एक स्थिरांक होता है।
\footnotesize \boxed { \frac{sini}{sinr} = n}
जहां n एक स्थिरांक है जिसे अपवर्तनांक कहते हैं।
इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं। तथा i आपतन कोण और r अपवर्तन कोण हैं।

यदि यह पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक है। तो इसे इस प्रकार लिख सकते हैं।
पहले माध्यम का अपवर्तनांक = n1
दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक = n2
तब पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक 1n2 = \large \frac{n_2}{n_1}

माना चित्र में पहले माध्यम को ‘सघन’ तथा दूसरे माध्यम को ‘विरल’ कहा गया है। तब
1. जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तो प्रकाश विरल माध्यम में अभिलंब N की ओर झुक जाता है। तथा
2. जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करता है तो यह सघन माध्यम में अभिलंब N से कुछ दूर हट जाता है।

Note – अपवर्तनांक को विस्तार से क्रांतिक कोण वाले आर्टिकल में समझाया गया है इसलिए उसे जरूर पढ़ें।
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