प्रतिरोध क्या है, परिभाषा, SI मात्रक, विमीय सूत्र, प्रकार किसे कहते हैं | resistance in Hindi

प्रतिरोध

जब किसी चालक के सिरों पर विभवांतर स्थापित किया जाता है। तो उस चालक में विद्युत धारा का प्रवाह होने लगता है। अर्थात् किसी चालक के सिरों पर लगाए गए विभवांतर तथा उस चालक में बहने वाली विद्युत धारा के अनुपात को चालक का विद्युत प्रतिरोध (resistance in Hindi) कहते हैं। इसे R से प्रदर्शित करते हैं।

माना किसी चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर V तथा उसमें बहने वाली धारा i है तो विद्युत प्रतिरोध
\footnotesize \boxed { R = \frac{V}{i} }
इस सूत्र द्वारा प्रतिरोध को इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं। कि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट विभवांतर लगाने पर उसमें बहने वाली धारा 1 एंपियर हो तो चालक का विद्युत प्रतिरोध 1 ओम होगा। अर्थात्
\footnotesize \boxed { 1 ओम = 1 \frac{वोल्ट}{एंपियर} }

प्रतिरोध का मात्रक

प्रतिरोध का SI मात्रक ओम होता है। तथा MKS पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट/एंपियर होता है। ओम को Ω (ओमेगा) से प्रदर्शित करते हैं।
प्रतिरोध का मात्रक ओम एक छोटा मात्रक है इसके स्थान पर हम निम्न मात्रकों का भी प्रयोग करते हैं। जैसे–
1 मेगाओम (MΩ) = 106 ओम
1 माइक्रोओम (μΩ) = 10-6 ओम
माइक्रो ओम का प्रयोग प्रतिरोध की कम मात्रा के मापन के लिए किया जाता है।

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प्रतिरोध का विमीय सूत्र

प्रतिरोध का MKS पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट/एंपियर होता है। तो सूत्र से
R = \frac{V}{i}
विद्युत विभव के सूत्र V = \frac{W}{q} से
R = \frac{W/q}{i}
आवेश q = it के सूत्र से
R = \frac{W/it}{i}
R = \frac{W}{i^2t}
कार्य W = F × ℓ से
R = \frac{F × ℓ}{i^2 × t}
बल के सूत्र F = ma से
R = \large \frac{m × a × ℓ}{i^2 × t}
चूंकि a त्वरण है तो सूत्र a = ℓ/t2
R = \large \frac{m × ℓ^2 × t^{-2}}{i^2 × t}
चूंकि m = किलोग्राम, i = एंपियर, t = सेकेंड तथा ℓ = मीटर को दर्शाता है तो
R = \frac{किग्रा-मीटर^2}{सेकेंड^3-एंपियर^2}
R = किग्रा-मीटर2-सेकेंड-3-एंपियर-2
अतः प्रतिरोध का विमीय सूत्र = [ML2T-3A-2] होता है।

प्रतिरोध की ताप पर निर्भरता

किसी धात्विक तार का ताप बढ़ने पर उस तार का विद्युत प्रतिरोध बढ़ जाता है।
अतः अनुगमन वेग के आधार पर ओम के नियम की उत्पत्ति से स्पष्ट होता है कि किसी चालक तार का विद्युत प्रतिरोध निम्न प्रकार होता है।
R = \large \frac{mℓ}{ne^2τA}
किसी दिए गए तार के लिए A, ℓ तथा n नियत हैं तब
R ∝ \large \frac{1}{τ}
या R ∝ \large \frac{V_{rms}}{λ}
जहां Vrms = वर्ग माध्य मूल चाल तथा λ = माध्य मुक्त पथ है।
लेकिन Vrms \small \sqrt{T} होता है तो स्पष्ट है। कि ताप के बढ़ने पर चालक का विद्युत प्रतिरोध बढ़ जाता है।

Note – माना यदि 0°C पर किसी चालक का विद्युत प्रतिरोध R0 हो तथा t°C पर चालक का विद्युत प्रतिरोध Rt है। तो
\footnotesize \boxed { R_t = R_0(1 + αt) }
जहां α एक नियतांक है जिसे प्रतिरोध ताप गुणांक कहते हैं। तब
\footnotesize \boxed { α = \frac{R_t - R_0}{R_0 × t} }
α का मान अधिकांश धातुओं के लिए 1/273 प्रति °C होता है। तब उपरोक्त समीकरण को कुछ इस प्रकार लिख सकते हैं।
\footnotesize \boxed { R_t = R_0\left(1 + \frac{t}{273}\right) = R_0\left(\frac{T}{273}\right) }
जहां T परमताप है।

इन सूत्रों से संबंधित परीक्षाओं में आंकिक प्रश्न बहुत ज्यादा पूछे जाते हैं इसलिए सभी छात्र इन सूत्रों को ध्यान से समझें और इनसे संबंधित आंकिक प्रश्नों को हल जरूर करें। अगर आपको कोई परेशानी है तो आप हमें कमेंट या ईमेल के माध्यम से बताएं। Gyan Tracks द्वारा आपकी जरूर मदद की जाएगी। धन्यवाद


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