देहली आवृत्ति, देहली तरंगदैर्ध्य तथा निरोधी विभव क्या है, परिभाषा, सूत्र

देहली आवृत्ति

प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो किसी पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करा सकें। इस प्रकार की आवृत्ति को उस पदार्थ की देहली आवृत्ति (threshold frequency in Hindi) कहते हैं। देहली आवृत्ति को vo से निरूपित किया जाता है।
देहली आवृत्ति से कम आवृत्ति के प्रकाश से धातु से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन नहीं होता है। चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी अधिक क्यों न हो। प्रकाश विद्युत प्रभाव में देहली आवृत्ति की यह महत्ता है।
\footnotesize \boxed { W = hv_o }
यह देहली आवृत्ति तथा कार्य फलन W के बीच संबंध का समीकरण है।

देहली तरंगदैर्ध्य

किसी धातु पर आपतित प्रकाश कि वह अधिकतम तरंगदैर्ध्य, जो धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित करा सके, उस धातु की देहली तरंगदैर्ध्य (threshold wavelength in Hindi) कहलाती है। इसे λ0 से प्रदर्शित करते हैं।
प्रभाव में देहली आवृत्ति की यह महत्ता है।
\footnotesize \boxed { λ_0 = \frac{c}{v_o} }
जहां c प्रकाश की चाल तथा vo देहली आवृत्ति है।

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इस समीकरण के आधार पर देहली तरंगदैर्ध्य को इस प्रकार की परिभाषित किया जा सकता है कि, किसी पदार्थ की देहली आवृत्ति के संगत प्रकाश की तरंगदैर्ध्य को देहली तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
देहली तरंगदैर्ध्य का मान भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न भिन्न होता है।

निरोधी विभव

आपतित प्रकाश की निश्चित आवृत्ति के लिए एनोड को दिया गया वह ऋणात्मक विभव जिस पर प्रकाश विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है। इस प्रकार के विभव को निरोधी विभव कहते हैं। निरोधी विभव को संस्तब्ध विभव भी कहते हैं। इसे V0 से प्रदर्शित किया जाता है।


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