वान डी ग्राफ जनित्र क्या है रचना एवं कार्य विधि, इसके उपयोग बताइए

वान डी ग्राफ जनित्र

वैज्ञानिक वान डी ग्राफ ने एक ऐसे स्थिर विद्युत जनित्र का आविष्कार किया, जिसकी सहायता से अति उच्च विभव ( लगभग 106 वोल्ट ) उत्पन्न किया जा सकता है। इस स्थिर विद्युत जनित्र को वान डी ग्राफ जनित्र (Van de graaff generator in Hindi) कहते हैं।

वान डी ग्राफ जनित्र
वान डी ग्राफ जनित्र

वान डी ग्राफ जनित्र की रचना

वान डी ग्राफ जनित्र में धातु का एक बड़ा गोला होता है। जिसे S द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह A और B अचालक धातुओं की छड़ो पर जुड़ा होता है। इसमेें रबड़ की एक बैल्ट को दो घिरनिओं P1 और P2 से जुड़ा जाता है। घिरनी P1 पृथ्वी के तल में और दूसरी घिरनी P2 गोले के केंद्र पर लगी होती है। एवं इन घिरनिओं को एक विद्युत मोटर के सहायता से चलाया जाता है। इसमें धातु के दो नुकीले कंघे होते हैं। जिसमें से नीचे वाला कंघा C1 अति उच्च विभव वाले स्रोत के धन टर्मिनल से जुड़ा होता है। तथा ऊपर वाला कंघा C2 खोखले गोले S के आंतरिक पृष्ठ से जुड़ा होता है।
चित्र द्वारा सब स्पष्ट किया गया है यह सारी परिभाषा चित्र से ही बनाई गई है इसलिए आप चित्र को ध्यान से समझाएं।

वान डी ग्राफ जनित्र की कार्य विधि

जब नीचे वाले कंघे C1 को अति उच्च विभव दिया जाता है। तो तीक्ष्ण बिंदुओं की क्रिया के परिणाम स्वरूप कंघा C2, विभव के स्थान पर आयन उत्पन्न करता है। धन-आयनों और कंघे (चालक) C1 के बीच प्रतिकर्षण के कारण ये धन-आयन बिना रबड़ की बैल्ट पर गतिमान हो जाते हैं। क्योंकि बैल्ट विद्युत मोटर की सहायता से गतिमान अवस्था में है। इसलिए बैल्ट के द्वारा ये धन-आयन ऊपर चले जाते हैं। तथा ऊपर वाले कंघा C2 इन धन-आयनों को एकत्रित कर लेता है। और गोले S के बाहरी पृष्ठ पर स्थानान्तरित कर देता है। चूंकि रबड़ की बैल्ट विद्युत मोटर की सहायता से लगातार घूमती रहती है इसलिए यह प्रक्रम होता रहता है। अर्थात् बैल्ट धन-आवेश को ऊपर ले जाती है। और यह धन-आवेश कंघे C2 द्वारा एकत्रित कर लिए जाते हैं। इस प्रकार गोले S के बाहरी पृष्ठ पर निरन्तर धन-आवेश प्राप्त होता रहता है। और इसी कारण इसका विद्युत विभव अति उच्च हो जाता है।

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वान डी ग्राफ जनित्र के उपयोग

  1. वान डी ग्राफ जनित्र की सहायता से अति उच्च विभव उत्पन्न किया जाता है। इसी कारण इसका उपयोग अति उच्च विभव उत्पन्न करने में किया जाता है।
  2. वान डी ग्राफ जनित्र का उपयोग धन-आवेश को अति उच्च वेग तक त्वरित करने में किया जाता है।
  3. इसका उपयोग आवेशित कणों को त्वरित करके उन कणों की ऊर्जा में वृद्धि करने में किया जाता है।

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