तरंगाग्र किसे कहते हैं, प्रकार, परिभाषा, समतल तथा गोलीय तरंगाग्र, उदाहरण

तरंगाग्र

किसी माध्यम में किसी क्षण खींचा गया ऐसा पृष्ठ जिसमें स्थित सभी कण कंपन की समान कला में हों, तब इस प्रकार के पृष्ठ को तरंगाग्र (wavefront in Hindi) कहते हैं।
समांग माध्यम में किसी तरंग को तरंगाग्र, तरंग संचरण की दिशा के लंबवत् होता है। तरंगाग्र विभिन्न आकृतियों के हो सकते हैं। तरंगाग्र के लंबवत् खींची गई रेखा तरंग संचरण की दिशा को निरूपित करती है। इस रेखा को किरण कहते हैं।

तरंगाग्र के प्रकार

तरंगाग्र दो प्रकार के होते हैं।
1. समतल तरंगाग्र
2. गोलीय तरंगाग्र

1. समतल तरंगाग्र

जब कोई तरंग माध्यम में केवल एक ही दिशा में संचरित होती है। तब किसी क्षण इसी दिशा के लंबवत् खींचे गए पृष्ठ पर स्थित सभी कण कंपन की समान कला में होंगे। तब इस दिशा में तरंगाग्र को समतल तरंगाग्र कहते हैं।
समतल तरंगाग्र में किरणें ऋजुरेखीय होती हैं।

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2. गोलीय तरंगाग्र

यदि माध्यम में एक बिंदु स्रोत से तरंगे उत्पन्न हो रही हैं तब तरंगे माध्यम में सभी दिशाओं में संचरित होती हैं। यदि बिंदु स्रोत को केंद्र मानकर उसके चारों ओर गोलीय पृष्ठ खींच दें तो पृष्ठ पर स्थित माध्यम के कण समान कला में कंपन कर रहे होंगे। तब इस दिशा में तरंगाग्र को गोलीय तरंगाग्र कहते हैं।
यदि तरंग स्रोत रेखीय होता है तब तरंगाग्र बेलनाकर होगा।

आशा करते हैं कि तरंगाग्र किसे कहते हैं इसके प्रकार से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। यह टॉपिक ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है बस कभी-कभी इसकी परिभाषा और प्रकार एक या दो नंबर में पूछ लिया जाता है।


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