व्हीटस्टोन सेतु क्या है सिद्धांत, सूत्र | wheatstone setu in Hindi class 12

व्हीटस्टोन सेतु

वैज्ञानिक व्हीटस्टोन ने प्रतिरोधों को विभिन्न क्रमों में व्यवस्थित करके एक विशेष व्यवस्था का आविष्कार किया। प्रतिरोधों की इस व्यवस्था को व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone bridge in Hindi) कहते हैं। व्हीटस्टोन सेतु के द्वारा किसी चालक का प्रतिरोध आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।

व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धांत

व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धांत

इसमें चार प्रतिरोधों P, Q, R तथा S को श्रेणी क्रम में इस प्रकार जोड़ा जाता है कि इनसे एक चतुर्भुज ABCD का निर्माण हो। चतुर्भुज के विकर्ण AC के बीच एक विद्युत सेल E तथा प्लग कुंजी K1 को जोड़ देते हैं। एवं चतुर्भुज के दूसरे विकर्ण BD के बीच एक धारामापी G तथा कुंजी K2 को जोड़ देते हैं।
अब यदि चतुर्भुज की चारों भुजाओं के प्रतिरोधों को इस प्रकार समायोजित किया जाए, कि परिपथ में सेल द्वारा विद्युत धारा प्रवाहित करने पर धारामापी में कोई विक्षेप न हो, तो इस दशा में व्हीटस्टोन सेतु संतुलित कहा जाता है। संतुलन की अवस्था में चतुर्भुज की किन्ही दो संलग्न भुजाओं के प्रतिरोधों का अनुपात शेष दो संलग्न भुजाओं के प्रतिरोधों के अनुपात के बराबर होता है अर्थात्
संतुलित अवस्था में
\footnotesize \boxed { \frac{P}{Q} = \frac{R}{S} }

Note – हमने यहां पर चारों प्रतिरोधों को P, Q, R व S से दर्शाया है। लेकिन NCERT Book में इन प्रतिरोधों को R1, R2, R3 व R4 से प्रदर्शित किया गया है। तो अगर आप चाहें तो इन प्रतिरोधों में किसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन हर जगह उन्हीं का प्रयोग करना अलग-अलग मत कर देना।
तथा चित्र को ध्यान से समझे क्योंकि सभी परिभाषा चित्र के द्वारा ही बनाई गई है। इसलिए थ्योरी से ज्यादा चित्र पर ध्यान दें और चित्र को बनाकर थ्योरी याद करने का प्रयास करें।

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व्हीटस्टोन सेतु के सूत्र की स्थापना

चित्र के अनुसार कुंजी K1 को दबाने पर सेल द्वारा परिपथ में i धारा प्रवाहित होती है। धारा i1 भुजा AB में तथा धारा i2 भुजा AD में प्रवाहित होती है।
कुंजी K2 को दबाने पर विकर्ण BD में धारा प्रवाहित नहीं होती है। अतः B व D के बीच में विभवांतर शून्य होगा।

तब बंद पाश ABDA पर किरचॉफ का द्वितीय नियम लगाने पर
i1 × P – i2 × R = 0
या i1P = i2R समीकरण (1)
इसी प्रकार बंद पाश BCDB पर किरचॉफ का द्वितीय नियम लगाने पर
i1 × Q – i2 × S = 0
या i1Q = i2S समीकरण (2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) की भाग करने पर
\frac{i_1 × P}{i_2 × Q} = \frac{i_2 × R}{i_2 × S}
\footnotesize \boxed { \frac{P}{Q} = \frac{R}{S} }
यही व्हीटस्टोन सेतु के संतुलन की शर्त है। अतः सूत्र से स्पष्ट होता है कि P व Q प्रतिरोधों का अनुपात एवं R प्रतिरोध का मान ज्ञात हो तो S अज्ञात प्रतिरोध की गणना की जा सकती है।

Note – P तथा Q भुजाओं का अनुपाती भुजाएं एवं AD भुजा को ज्ञात भुजा तथा CD भुजा को अज्ञात भुजा कहते हैं।


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