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Team India :- भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और पूर्व खिलाड़ी के खिलाफ हाल ही में गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसने खेल जगत को चौंका दिया है। यह मामला एक वित्तीय घोटाले से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर कर्मचारियों के भविष्य निधि (PF) के साथ धोखाधड़ी की गई है। इस खबर ने उनके प्रशंसकों और क्रिकेट प्रेमियों के बीच चिंता और आश्चर्य पैदा कर दिया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी पूर्व क्रिकेटर का नाम किसी कानूनी विवाद में आया हो, लेकिन इस बार मामला काफी गंभीर है।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथापा पर लगे गंभीर आरोप

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भारतीय क्रिकेट टीम (Team India) के पूर्व खिलाड़ी रॉबिन उथप्पा के खिलाफ भविष्य निधि (PF) घोटाले के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। यह वारंट क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त शादक्षारी गोपाल रेड्डी द्वारा जारी किया गया है, जिन्होंने पुलकेशीनगर पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार, यह वारंट 4 दिसंबर को जारी किया गया था, लेकिन जब पुलिस उथप्पा के पुलकेशीनगर स्थित घर पहुंची, तो वे वहां मौजूद नहीं थे। अधिकारियों के अनुसार, रॉबिन उथप्पा और उनका परिवार अब दुबई में रह रहा है।

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रॉबिन उथप्पा, जो सेंचुरी लाइफस्टाइल ब्रांड प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए हैं, पर आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों के वेतन से PF राशि काटी, लेकिन इसे संबंधित खातों में जमा नहीं किया। इस मामले को लेकर अधिकारियों ने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के तहत कार्रवाई की मांग की है।

उथप्पा की सफाई

रॉबिन उथप्पा ने इन आरोपों के जवाब में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इन कंपनियों के दैनिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थे। उथप्पा ने बताया कि 2018-19 में उन्होंने स्ट्रॉबेरी लिंसेरिया प्राइवेट लिमिटेड, सेंचुरी लाइफस्टाइल ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड और बेरीज फैशन हाउस में वित्तीय निवेश के कारण निदेशक के रूप में काम किया, लेकिन वह कंपनियों के संचालन में शामिल नहीं थे।उन्होंने आगे कहा कि व्यस्त क्रिकेट कार्यक्रम, टीवी प्रेजेंटेशन और कमेंट्री के कारण उनके पास इन कंपनियों के कार्यों में भाग लेने का समय नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि वे अन्य कंपनियों में भी कार्यकारी भूमिका में नहीं हैं, जिनमें उन्होंने निवेश किया है।

उथप्पा ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनियों द्वारा उधार ली गई राशि को चुकाया नहीं गया, जिससे उन्हें कानूनी कार्रवाई करनी पड़ी, जो अब न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि वह कई वर्षों पहले इन कंपनियों के निदेशक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। जब PF अधिकारियों ने बकाया राशि की मांग की, तो उनकी कानूनी टीम ने आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि उनका इन कंपनियों में कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी।

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