बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी है, लेकिन इस चयन ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। टीम से एक प्रमुख हिंदू खिलाड़ी को बाहर किए जाने के बाद राजनीतिक और सांप्रदायिक कारणों पर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह क्रिकेट के फैसले हैं या राजनीति का खेल?
Liton Das को टीम से किया गया बाहर
बांग्लादेश के स्टार हिंदू बल्लेबाज लिटन दास (Liton Das), जो देश के सबसे अनुभवी और भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक हैं, को टीम से बाहर कर दिया गया है। लिटन दास न केवल अपनी बल्लेबाजी से बल्कि विकेटकीपिंग में भी टीम को मजबूती देते हैं। पिछले कुछ महीनों में उनका फॉर्म औसत जरूर रहा है, लेकिन टीम से पूरी तरह बाहर करना चौंकाने वाला फैसला है।
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब देखा जाए कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे सांप्रदायिक अत्याचार लगातार चर्चा में हैं। लिटन दास (Liton Das) को बाहर किए जाने की तुलना पाकिस्तान के दिग्गज हिंदू खिलाड़ी दानिश कनेरिया के साथ किए गए व्यवहार से की जा रही है, जिन्हें भी धार्मिक आधार पर करियर खत्म करने का आरोप झेलना पड़ा था।
राजनीतिक प्रभाव के कारण हो सकता है करियर खत्म
ऐसे समय में जब बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव चरम पर है, यह फैसला लिटन दास (Liton Das) के करियर पर गहरा असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) पर राजनीतिक प्रभाव और सांप्रदायिक सोच ने लिटन के चयन में बाधा डाली।
यहां सवाल यह उठता है कि क्या बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्राथमिकता दे रहा है, या फिर राजनीति का असर इस खेल पर भारी पड़ रहा है? लिटन दास जैसे खिलाड़ी को बाहर करना न केवल क्रिकेट के लिए नुकसानदेह है, बल्कि यह दर्शाता है कि खेल अब राजनीति और सांप्रदायिकता के प्रभाव से उलझ रहा हे।
अब देखना होगा कि क्या लिटन दास इस मुश्किल समय से उभरकर वापसी कैसे कर पाते हैं।।
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