Bapu Nadkarni :- क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे असाधारण रिकॉर्ड बने हैं, जो खेल के प्रति समर्पण, अनुशासन और कठिन परिश्रम का प्रतीक हैं। टेस्ट क्रिकेट में एक ऐसा ही अद्भुत रिकॉर्ड है, जो भारतीय गेंदबाज ने अपने धैर्य और सटीकता से बनाया। यह रिकॉर्ड किसी तेज गेंदबाज का नहीं, बल्कि एक धीमी गति के स्पिनर का है, जिसने अपने करियर में बल्लेबाजों को रन बनाने का मौका ही नहीं दिया।
Bapu Nadkarni का अनोखा रिकॉर्ड
बापू नाडकर्णी, ( Bapu Nadkarni ) भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व लेफ्ट-आर्म स्पिनर, को दुनिया के सबसे किफायती गेंदबाजों में गिना जाता है। उनकी गेंदबाजी का आधार धैर्य और सटीकता था। कहा जाता है कि नासिक के इस दिग्गज ने नेट्स पर एक सिक्के को निशाना बनाकर घंटों अभ्यास किया, जिससे उनकी गेंदबाजी इतनी सटीक हो गई कि बल्लेबाजों के पास या तो गेंद रोकने या मामूली रन बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
16 दिसंबर 1955 को अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले नाडकर्णी ने पहले मैच में कोई विकेट नहीं लिया, लेकिन 54 ओवरों में मात्र 2.44 की इकॉनमी रेट से गेंदबाजी की। उन्होंने 41 मैचों में 88 विकेट लिए, लेकिन उनकी इकॉनमी 1.67 की थी, जो उनकी सटीकता को दर्शाता है।
लगातार 21 मेडन ओवर का अदभुत रिकॉर्ड
12 जनवरी 1964 को चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ नाडकर्णी ( Bapu Nadkarni ) ने वह कारनामा किया, जो आज भी एक रिकॉर्ड है। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 457 रन बनाए थे, और इंग्लैंड को रन बनाने से रोकना जरूरी था। नाडकर्णी ने 21 लगातार मेडन ओवर फेंके और 32 ओवरों में मात्र 5 रन दिए, जिनमें 27 ओवर मेडन थे। उनकी इस किफायती गेंदबाजी का फायदा उनके साथी गेंदबाज चंदू बोर्डे को मिला, जिन्होंने पांच विकेट लिए।इस टेस्ट में नाडकर्णी का इकॉनमी रेट मात्र 1 का था, और उनका रिकॉर्ड आज 60 साल बाद भी अटूट है। उनके बाद रवींद्र जडेजा ने 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 17 लगातार मेडन ओवर फेंके, लेकिन नाडकर्णी ( Bapu Nadkarni ) का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सके।नाडकर्णी ( Bapu Nadkarni ) सिर्फ गेंदबाजी में ही नहीं, बल्लेबाजी में भी कारगर थे। 1964 में चेन्नई टेस्ट के बाद उन्होंने कानपुर में इंग्लैंड के खिलाफ 52 और 122 रन बनाए। 1968 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अपने आखिरी टेस्ट में भी उन्होंने 17 रन देकर 7 मेडन ओवर फेंके और 2 विकेट लिए।