भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक, विराट कोहली ( Virat Kohli ) , एक बार फिर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने संघर्ष करते नजर आए। ब्रिस्बेन टेस्ट के तीसरे दिन का खेल भारतीय टीम के लिए निराशाजनक साबित हुआ, जहां कोहली महज 3 रन बनाकर आउट हो गए। भारत पहले ही अपने दो शुरुआती बल्लेबाजों, यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल, को गंवा चुका था, और कोहली ( Virat Kohli ) के आउट होते ही टीम का स्कोर 22/3 हो गया। बारिश के कारण समय से पहले लंच लिया गया, लेकिन तब तक भारत की स्थिति कमजोर हो चुकी थी।
अहंकार या कमजोरी ? Virat Kohli का कवर ड्राइव
जॉश हेजलवुड ने विराट कोहली ( Virat Kohli ) को एक बार फिर उनके सबसे पसंदीदा शॉट, कवर ड्राइव, में फंसाया। ऑफ स्टंप के बाहर फुलर गेंद पर ड्राइव खेलने की कोशिश में कोहली ( Virat Kohli ) ने गेंद को विकेटकीपर के हाथों में थमा दिया। यह dismissal केवल एक बार की गलती नहीं थी, बल्कि इस श्रृंखला में कई बार देखा गया पैटर्न है। बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने बार-बार कोहली की इसी कमजोरी को निशाना बनाया है।
हालांकि नेट प्रैक्टिस में कोहली ( Virat Kohli ) को इस कमी पर काम करते हुए देखा गया था, लेकिन मैच के दबाव में वे इसे सुधारने में असफल रहे। हेजलवुड और स्टार्क की सटीक गेंदबाजी ने दिखाया कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने कोहली की तकनीक का गहराई से विश्लेषण किया है।
भारतीय बल्लेबाजी पर सवाल
कोहली ( Virat Kohli ) के जल्दी आउट होने से भारत का टॉप ऑर्डर बिखर गया। इससे पहले, मिशेल स्टार्क ने पहले ही ओपनर्स को पवेलियन भेजकर भारतीय टीम को बैकफुट पर धकेल दिया था। ऑस्ट्रेलिया के 445 रनों के विशाल स्कोर के जवाब में भारत की बल्लेबाजी इकाई दबाव में आ गई है। कोहली ( Virat Kohli ) की असफलता ने न केवल उनकी तकनीक पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भारतीय बल्लेबाजी रणनीति की भी आलोचना हो रही है।
कोहली ( Virat Kohli ) का बार-बार कवर ड्राइव खेलने की जिद और उसे सुधारने में असफल रहना कहीं न कहीं उनके अहंकार को भी दर्शाता है। यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है कि क्या कोहली अपनी तकनीकी खामियों को दूर करने के बजाय अपने पसंदीदा शॉट पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं? भारतीय टीम को अगर इस सीरीज में वापसी करनी है, तो कोहली समेत सभी बल्लेबाजों को ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की रणनीति का तोड़ ढूंढना होगा।
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