अगर आप एक लाभदायक बिजनेस आइडिया की तलाश में हैं, तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। आज हम एक ऐसे बिजनेस के बारे में बात कर रहे हैं, जो आपको पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत देगा और आपकी जेब को भी भरपूर बनाए रखेगा।
वर्तमान समय में किसान पारंपरिक खेती छोड़कर नकदी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें से एक है डीजल का पौधा। इसे जेट्रोफा (Nettlespurges) या रतनजोत के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं, क्योंकि इससे बायोडीजल प्राप्त होता है। यह एक शानदार अवसर है, जिसे आप अपने बिजनेस में बदल सकते हैं।
बंजर भूमि पर इसकी खेती सालभर की जा सकती है। बिना ज्यादा मेहनत के आप सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं। इसके बीज बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। इस पौधे को ज्यादा पानी और जुताई की जरूरत नहीं होती। बस 4 से 6 महीने की देखभाल करनी होती है। इसके बाद, यह पौधा पांच साल तक बीज देता है। यह एक आसान और फायदेमंद कृषि विकल्प है।
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जानिए जेट्रोफा (Nettlespurges) यानी डीजल पौधा क्या है
जेट्रोफा (Nettlespurges) एक झाड़ीनुमा पौधा है जो अर्धशुष्क क्षेत्रों में उगता है। इसके बीजों से 25 से 30 फीसदी तक तेल निकाला जा सकता है, जिसका उपयोग डीजल वाहनों, जैसे कारों में किया जा सकता है। इसके अवशेषों का इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए भी होता है। यह एक सदाबहार झाड़ी है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है। जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता, बल्कि पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। इसके बाद पौधों को खेत में लगाया जाता है। इसे एक बार लगाने पर 5 साल तक फसल प्राप्त की जा सकती है, जिससे यह खेती के लिए एक लाभदायक विकल्प बनता है।
जेट्रोफा के बीज से डीजल कैसे बनता है
जेट्रोफा (Nettlespurges) के पौधों से डीजल बनाने की प्रक्रिया बहुत आसान है। सबसे पहले, जेट्रोफा के बीजों को फलों से अलग करना होता है। इसके बाद, बीजों को अच्छी तरह से धोया जाता है। फिर इन्हें एक मशीन में डालकर तेल निकाला जाता है। यह प्रक्रिया सरसों के तेल निकालने के तरीके के समान होती है। इस तरह, जेट्रोफा से डीजल का उत्पादन किया जाता है।
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जेट्रोफा (Nettlespurges) की मांग तेजी से बढ़ी
डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत और पूरी दुनिया में इनकी मांग बढ़ रही है। भारत सरकार किसानों को इसकी खेती में सहायता कर रही है। एक हेक्टेयर जमीन पर औसतन 8 से 10 क्विंटल बीज का उत्पादन होता है। सरकार बीज को 12 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदती है, जबकि बाजार में यह 1800 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल बिकता है। यदि इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाए, तो पारंपरिक फसलों के मुकाबले अच्छी कमाई हो सकती है।
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