Nitish Kumar Reddy :भारतीय क्रिकेट में युवा खिलाड़ियों का उदय नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है। 21 वर्षीय नीतीश कुमार रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। चौथे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए इस मैच में रेड्डी की बल्लेबाजी ने हर क्रिकेट प्रेमी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह पारी न केवल उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक यादगार पल था। रेड्डी की इस पारी ने भारतीय टीम की स्थिति को मजबूती दी और उन्होंने इस शानदार प्रदर्शन के बाद एक अलग अंदाज में सेलिब्रेट किया।
Nitish Kumar Reddy की पहली टेस्ट सेंचुरी का ऐतिहासिक क्षण
नीतीश कुमार रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में अपने करियर का पहला टेस्ट शतक जमाया। जब भारत की पारी मुश्किल में थी और सात विकेट गिर चुके थे, तब रेड्डी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने 171 गेंदों में शतक पूरा किया और वाशिंगटन सुंदर के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदारी की, जिसने भारत को फॉलोऑन के खतरे से बाहर निकाला। उनकी इस पारी ने टीम को मजबूती प्रदान की और पहली पारी की बढ़त को कम करने में मदद की। रेड्डी ने ग्राउंड के बीच से एक शानदार स्ट्रोक खेलते हुए अपना शतक पूरा किया, जिससे स्टेडियम में बैठे दर्शक झूम उठे।
रिकॉर्ड्स की किताब में नाम दर्ज
The rising ⭐ of Indian cricket shines bright in the Boxing Day Test with a maiden Test hundred! 💪
Take a bow, #NitishKumarReddy! 🔥#AUSvINDOnStar 👉 4th Test, Day 3 | LIVE NOW! | #ToughestRivalry #BorderGavaskarTrophy pic.twitter.com/xsKac0iCju
— Star Sports (@StarSportsIndia) December 28, 2024
नीतीश कुमार रेड्डी(Nitish Kumar Reddy)का यह शतक कई मायनों में ऐतिहासिक था। वह विराट कोहली और यशस्वी जायसवाल के बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में शतक लगाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने। खास बात यह है कि उन्होंने यह कारनामा आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए किया, जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज के लिए ऑस्ट्रेलिया में पहली बार हुआ है। इससे पहले, 2008 में एडिलेड में अनिल कुंबले ने आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 87 रन बनाए थे, लेकिन रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया।रेड्डी ने अपना शतक बाहुबली के अंदाज से सेलिब्रेट किया जो कि देखने लायक हे।
रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) की इस पारी ने न केवल भारत को संकट से बाहर निकाला बल्कि यह साबित किया कि वह आने वाले वर्षों में भारतीय टीम के लिए एक मजबूत स्तंभ बन सकते हैं। उनका आत्मविश्वास और धैर्य भविष्य में भारतीय क्रिकेट को और ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखता है।
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