क्रिकेट की दुनिया में कई खिलाड़ी अपने करियर के बाद अलग-अलग राहें चुनते हैं। कुछ कोचिंग में चले जाते हैं, कुछ कमेंट्री करने लगते हैं, तो कुछ खेल प्रशासन में शामिल हो जाते हैं। लेकिन एक ऐसा भी खिलाड़ी है जिसने कभी एमएस धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के लिए आईपीएल खेला था और अब ऑस्ट्रेलिया में एक अलग ही पेशे में व्यस्त है। यह कहानी किसी भी क्रिकेट फैन को हैरान कर सकती है।

Suraj Randiv का आईपीएल और इंटरनेशनल क्रिकेट का सफर

Suraj Randiv
Suraj Randiv

जिस खिलाड़ी की हम बात कर रहे हैं, वह हैं सुरज रणदीव (Suraj Randiv)। श्रीलंका के इस ऑफ स्पिनर ने 2009 में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था और जल्द ही अपनी शानदार गेंदबाजी के दम पर चर्चा में आ गए थे। उन्होंने श्रीलंका के लिए 12 टेस्ट, 31 वनडे और 7 टी20 मैच खेले। उनकी गेंदबाजी में फ्लाइट और टर्न का अच्छा मिश्रण था, जिसने उन्हें एक उपयोगी स्पिनर बनाया।
सुरज रणदीव (Suraj Randiv) के अंतरराष्ट्रीय करियर के आंकड़े:

  1. टेस्ट: 12 मैच, 43 विकेट, बेस्ट: 5/82
  2. वनडे: 31 मैच, 36 विकेट, बेस्ट: 5/42
  3. टी20: 7 मैच, 7 विकेट, बेस्ट: 3/20

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2010 में भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और अपनी बॉलिंग से कई भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया था।
आईपीएल में सुरज रणदीव (Suraj Randiv) को 2010 में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने अपनी टीम में शामिल किया था। हालांकि, उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन जब भी उन्हें खेलने का मौका मिला, उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित की।

आईपीएल करियर:मैच: 8,विकेट: 6,बेस्ट प्रदर्शन: 2/24,इकोनॉमी: 7.69
हालांकि, रणदीव का आईपीएल करियर ज्यादा लंबा नहीं चला और धीरे-धीरे वे श्रीलंका की टीम से भी बाहर हो गए।

क्रिकेट के बाद बस ड्राइवर की नौकरी

Suraj Randiv
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क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सुरज रणदीव (Suraj Randiv) ने एक ऐसा रास्ता चुना जिसे सुनकर कोई भी चौंक सकता है। वह अब ऑस्ट्रेलिया में बस ड्राइवर की नौकरी कर रहे हैं। रणदीव मेलबर्न की सार्वजनिक परिवहन सेवा Transdev में बतौर बस ड्राइवर काम कर रहे हैं। सिर्फ रणदीव ही नहीं, बल्कि उनके साथ दो और पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर चामीरा सिल्वा और नुवान कुलसेकरा भी इसी कंपनी में बस चलाने का काम कर रहे हैं। हालांकि, रणदीव ने क्रिकेट से पूरी तरह नाता नहीं तोड़ा है। वह अब भी एडिनबर्ग क्रिकेट क्लब के लिए खेलते हैं और वहां कप्तान के रूप में टीम को लीड भी कर रहे हैं।

रणदीव की यह कहानी उन तमाम क्रिकेटर्स के लिए प्रेरणा है, जो अपने करियर के बाद नई जिंदगी की शुरुआत करने से हिचकिचाते हैं। क्रिकेट छोड़ने के बाद कई खिलाड़ियों को पहचान और रोज़गार के लिए संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन रणदीव ने इसे सकारात्मक रूप से लिया और खुद को एक नए रोल में ढाल लिया।

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